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            🔴Manmohan Singh Death News Hindi Live: डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल की 10 बड़ी नीतियाँ, जिन्होंने बदल दी भारत की तस्वीर

🔴Manmohan Singh Death News Hindi Live: डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल की 10 बड़ी नीतियाँ, जिन्होंने बदल दी भारत की तस्वीर

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Manmohan Singh Death News Hindi Live: मनमोहन सिंह, जो 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे, इस साल की शुरुआत में राज्यसभा से रिटायर हो गए थे। इसके साथ ही 33 साल तक उच्च सदन में अपनी राजनीतिक यात्रा खत्म की थी। वे भारत के पहले और अब तक के एकमात्र सिख प्रधानमंत्री थे। उन्होंने 1991 में पी.वी. नरसिम्हा राव के नेतृत्व में वित्त मंत्री के रूप में शपथ ली थी और उसी साल राज्यसभा में पहुंचे थे।

वह पांच कार्यकाल तक असम से राज्यसभा में चुने गए और 2019 में राजस्थान चले गए थे। संसद में उनका अंतिम भाषण विमुद्रीकरण के खिलाफ था, जिसमें उन्होंने इसे “संगठित लूट और वैधानिक लूट” करार दिया था। एक कार्यक्रम में उन्होंने 2021 में कहा था, “बेरोजगारी बढ़ी है और अनौपचारिक क्षेत्र संकट में है, यह स्थिति 2016 में लिए गए नोटबंदी के निर्णय के कारण पैदा हुई।” Manmohan Singh Death News Hindi Live

इन्हें भी पढ़ें.

Manmohan Singh Death News Hindi- Degree कौन- कौन सी ली जाने

मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को पंजाब में हुआ था। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक और स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद 1957 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से इकोनॉमिक्स ट्राइपोज पूरा किया और फिर 1962 में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डी.फिल. की डिग्री ली।

अपनी अकादमिक यात्रा के बाद, डॉ. मनमोहन सिंह ने पंजाब विश्वविद्यालय और दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में अध्यापन किया। 1971 में उन्होंने भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के रूप में काम करना शुरू किया। 1972 में वह वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार बने।

यूएनसीटीएडी सचिवालय में एक छोटे से कार्यकाल के बाद, उन्हें 1987 से 1990 तक जिनेवा में दक्षिण आयोग के महासचिव के रूप में नियुक्त किया गया। इसके अलावा, उन्होंने वित्त मंत्रालय में सचिव, योजना आयोग के उपाध्यक्ष, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर, प्रधानमंत्री के सलाहकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष के रूप में भी महत्वपूर्ण पदों पर काम किया।

मनमोहन सिंह ने भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था में अपनी अहम भूमिका निभाई है। उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा, खासकर भारतीय अर्थव्यवस्था के सुधार के दौर में उनके नेतृत्व के लिए।

नई दिल्ली, 27 दिसंबर 2024: पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का निधन 26 दिसंबर, गुरुवार को हो गया। उन्हें सांस लेने में परेशानी होने के बाद रात लगभग 8 बजे दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के आपातकालीन विभाग में भर्ती कराया गया था।

मनमोहन सिंह, जो 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे, इस साल की शुरुआत में राज्यसभा से रिटायर हो गए थे। इसके साथ ही 33 साल तक उच्च सदन में अपनी राजनीतिक यात्रा खत्म की थी। वे भारत के पहले और अब तक के एकमात्र सिख प्रधानमंत्री थे। उन्होंने 1991 में पी.वी. नरसिम्हा राव के नेतृत्व में वित्त मंत्री के रूप में शपथ ली थी और उसी साल राज्यसभा में पहुंचे थे।

वह पांच कार्यकाल तक असम से राज्यसभा में चुने गए और 2019 में राजस्थान चले गए थे। संसद में उनका अंतिम भाषण विमुद्रीकरण के खिलाफ था, जिसमें उन्होंने इसे “संगठित लूट और वैधानिक लूट” करार दिया था। एक कार्यक्रम में उन्होंने 2021 में कहा था, “बेरोजगारी बढ़ी है और अनौपचारिक क्षेत्र संकट में है, यह स्थिति 2016 में लिए गए नोटबंदी के निर्णय के कारण पैदा हुई।” Manmohan Singh Death News Hindi

Manmohan Singh का जन्म

मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को पंजाब में हुआ था। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक और स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद 1957 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से इकोनॉमिक्स ट्राइपोज पूरा किया और फिर 1962 में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डी.फिल. की डिग्री ली।

अपनी अकादमिक यात्रा के बाद, डॉ. मनमोहन सिंह ने पंजाब विश्वविद्यालय और दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में अध्यापन किया। 1971 में उन्होंने भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के रूप में काम करना शुरू किया। 1972 में वह वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार बने।

यूएनसीटीएडी सचिवालय में एक छोटे से कार्यकाल के बाद, उन्हें 1987 से 1990 तक जिनेवा में दक्षिण आयोग के महासचिव के रूप में नियुक्त किया गया। इसके अलावा, उन्होंने वित्त मंत्रालय में सचिव, योजना आयोग के उपाध्यक्ष, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर, प्रधानमंत्री के सलाहकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष के रूप में भी महत्वपूर्ण पदों पर काम किया।

मनमोहन सिंह ने भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था में अपनी अहम भूमिका निभाई है। उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा, खासकर भारतीय अर्थव्यवस्था के सुधार के दौर में उनके नेतृत्व के लिए।

डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल की 10 बड़ी नीतियाँ, जिन्होंने बदल दी भारत की तस्वीर

Indian Politics and Economy

डॉ. मनमोहन सिंह भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था के एक महत्वपूर्ण और प्रतिष्ठित नेता रहे हैं। उन्होंने देश की सेवा में कई महत्वपूर्ण कार्य किए, जिनका असर भारतीय अर्थव्यवस्था और समाज पर गहरा पड़ा। उनके कार्यकाल के दौरान कुछ प्रमुख और उल्लेखनीय योगदान निम्नलिखित थे:

1. आर्थिक सुधारों की शुरुआत (1991)

डॉ. मनमोहन सिंह ने 1991 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव के नेतृत्व में वित्त मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला। इस दौरान भारत ने आर्थिक संकट का सामना किया था, और डॉ. सिंह ने सुधारों की एक नई दिशा तय की। उन्होंने लिबरलाइजेशन, प्राइवेटाइजेशन और ग्लोबलाइजेशन की प्रक्रिया शुरू की, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था ने तेजी से वृद्धि की। इसके तहत:

  • उद्योगों का उदारीकरण: कई क्षेत्रों में सरकारी नियंत्रण को समाप्त किया गया और निजी क्षेत्र के लिए अवसर खोले गए।
  • विदेशी निवेश को बढ़ावा: विदेशी निवेशकों के लिए भारत को आकर्षक बनाने के लिए कई नीतियां अपनाई गई।
  • मूल्य निर्धारण का सुधार: सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को बाजार की प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार किया गया।

2. भारत-परमाणु समझौता (2008)

मनमोहन सिंह सरकार ने 2008 में भारत-अमेरिका परमाणु समझौता (Civil Nuclear Agreement) किया, जो भारत को शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा प्राप्त करने के लिए एक नया रास्ता प्रदान करता था। इस समझौते के तहत, भारत को परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) से परमाणु ईंधन और तकनीक प्राप्त करने का अवसर मिला, जिससे भारत की ऊर्जा सुरक्षा मजबूत हुई।

3. संविधान संशोधन और कल्याणकारी योजनाओं का प्रारंभ

मनमोहन सिंह की सरकार ने राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (NREGA), राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक जैसी कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू की, जिनसे लाखों गरीब और जरूरतमंद लोगों को सहायता मिली। ये योजनाएं समाज के निचले तबके को सशक्त बनाने में अहम भूमिका निभाई।

4. भारत को वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित करना

मनमोहन सिंह के नेतृत्व में भारत ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी स्थिति मजबूत की। उन्होंने भारत को एक उभरती हुई वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित किया। इसके तहत:

  • अंतरराष्ट्रीय व्यापार समझौतों में भागीदारी: उन्होंने भारतीय व्यापार के लिए कई द्विपक्षीय और बहुपक्षीय व्यापार समझौतों पर हस्ताक्षर किए।
  • दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) में भारत की सक्रिय भागीदारी।
  • चीन और अमेरिका के साथ रिश्तों का सुदृढ़ीकरण: भारत ने चीन और अमेरिका के साथ अपने रिश्तों को प्रगाढ़ किया, जिससे भारत को वैश्विक राजनीति में एक प्रमुख स्थान मिला।

5. भारत के सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र का उत्थान

मनमोहन सिंह की सरकार के दौरान भारत के सूचना प्रौद्योगिकी (IT) क्षेत्र में जबरदस्त वृद्धि हुई। उन्होंने आईटी उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए नीतियां बनाई, जिससे बंगलुरु और हैदराबाद जैसे शहर वैश्विक आईटी हब बन गए। इसके परिणामस्वरूप भारत को सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में एक प्रमुख शक्ति के रूप में पहचान मिली।

6. महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA)

मनमोहन सिंह ने ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए MGNREGA योजना शुरू की, जो पूरी दुनिया में सबसे बड़ी ग्रामीण रोजगार योजना मानी जाती है। इसके तहत, किसानों और मजदूरों को वित्तीय सहायता प्रदान की गई, जिससे उनके जीवनस्तर में सुधार हुआ। यह योजना भारत में बेरोजगारी की समस्या को हल करने के लिए महत्वपूर्ण साबित हुई।

7. भारत में शिक्षा सुधार और उच्च शिक्षा संस्थानों का विकास

मनमोहन सिंह सरकार ने शिक्षा क्षेत्र में कई सुधार किए और नवीन उच्च शिक्षा संस्थानों का विकास किया। उनके कार्यकाल के दौरान, आईआईटी और आईआईएम जैसे संस्थानों के विस्तार के साथ-साथ, नई केंद्रीय विश्वविद्यालयों की स्थापना की गई, जिससे भारतीय शिक्षा प्रणाली में सुधार आया।

8. हरित क्रांति और खाद्य सुरक्षा

मनमोहन सिंह ने कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए भी कई योजनाएं बनाई। उन्होंने कृषि उत्पादकता में वृद्धि के लिए नए कदम उठाए, ताकि भारत खाद्य सुरक्षा में आत्मनिर्भर हो सके। खाद्य सुरक्षा विधेयक और कृषि सिंचाई सुधार जैसी योजनाओं से किसानों की स्थिति में सुधार हुआ।

9. मुलायम, समावेशी विकास

मनमोहन सिंह के कार्यकाल में समावेशी विकास को प्राथमिकता दी गई। उनकी सरकार ने दलितों, आदिवासियों और पिछड़े वर्गों के लिए कई योजनाएं बनाई, ताकि उनका सामाजिक और आर्थिक उत्थान हो सके।

10. वैश्विक वित्तीय संकट से उबरना

2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान, मनमोहन सिंह के नेतृत्व में भारत ने प्रभावी आर्थिक नीतियों के जरिए देश को इस संकट से उबार लिया। उन्होंने मुद्रास्फीति को नियंत्रित किया, ब्याज दरों को अनुकूलित किया और सरकारी खर्च को बढ़ाया, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली और भारत अन्य देशों की तुलना में जल्दी उबर सका।

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